भगवान श्री शिव जी की आरती-3
आरती शीश गंग अर्धंग पार्वती, सदा विराजत कैलासी
शीश गंग अर्धंग पार्वती, सदा विराजत कैलासी ।
नंदी भृंगी नृत्य करत हैं, धरत ध्यान सुर सुखरासी ॥
शीतल मन्द सुगन्ध पवन बह, बैठे हैं शिव अविनाशी ।
करत गान गन्धर्व सप्त स्वर, राग रागिनी मधुरा-सी ॥
यक्ष-रक्ष भैरव जहे डोलत, बोलत हैं वन के वासी ।
कोयल शब्द सुनावत सुन्दर, भ्रमर करत हैं गुंजा-सी ॥
कल्पद्रुम अरु पारिजात तरु, लाग रहे हैं लक्षासी ।
कामधेनु कोटिन जहँ डोलत, करत दुग्ध की वर्षा-सी ॥
सूर्यकान्त सम पर्वत शोभित, चन्द्रकान्त सम हिमराशी ।
नित्य छहों ऋतु रहत सुशोभित, सेवत सदा प्रकृति-दासी ॥
ऋषि-मुनि देव दनुज नित सेवत, गान करत श्रुति गुणराशी ।
ब्रह्मा-विष्णु निहारत निसिदिन, कछु शिव हमकूँ फरमासी ॥
ऋद्धि सिद्धि के दाता शंकर, नित सत् चित् आनँदराशी ।
जिनके सुमिरत ही कट जाती, कठिन काल-यम की फाँसी ॥
त्रिशूलधरजी का नाम निरंतर, प्रेम सहित जो नर गासी ।
दूर होय विपदा उस नर की, जन्म-जन्म शिवपद पासी ॥
कैलासी काशी के वासी, अविनाशी मेरी सुध लीजो ।
सेवक जान सदा चरननको, अपनो जान कृपा कीजो ॥
तुम तो प्रभुजी सदा दयामय, अवगुण मेरे सब ढकियो ।
सब अपराध क्षमाकर शंकर, किंकर को विनती सुनियो ॥
।।इति श्री शिव जी की आरती समाप्त।।
Shiv Aarti Sheesh Ganga Ardhang in English
Sheesh Gang ardhang Parvati, Sada virajat Kailasi ।
Nandi Bhrngi nrity karat hain, Dharat dhyan sur sukharasi॥
Shital mand sugandh pavan bahe, Baithe hain Shiv avinashi।
Karat gaan Gandharv sapt svar, Rag ragini madhura si॥
Yaksh-Raksh Bhairav jahe dolat, Bolat hain vana ke vaasi।
Koyal shabd sunaavat sundar, Bhramar karat hain gunja si॥
Kalpadrum aru Parijat Taru, Lag rahe hain lakshasi ।
Kamadhenu kotin jahan dolat, Karat dugdha ki varsha si ॥
Sooryakant sam parvat shobhit, Chandrakant sam himarashi।
Nity chhahon ritu rahat sushobhit, Sevat sada Prakriti dasi॥
Rishi Muni Dev Danuj nit sevat, Gan karat shruti gunarashi ।
Brahma Vishnu niharat nisidin, Kachhu Shiv hamakoon faramasi ॥
Rddhi Siddhike data Shankar, Nit Sat Chit Ananda rashi ।
Jinake sumirat hi kat jati, Kathin kaal Yama ki fansi॥
Trishooladharaji ka Nam nirantar, Prem sahit jo Nar gaasi ।
Door hoy vipada us Nar ki, Janm-Janm Shivapad paasi॥
Kailasi Kashi ke vaasi, Avinashi meri sudh lijo ।
Sevak jan sada Charanan ko, Apano jaan kripa keejo ॥
Tum to Prabhuji sada dayamay, Avagun mere sab dhakiyo ।
Sab aparadh kshamakar Shankar, Kinkar ko vinati suniyo ॥
।।Thus Shri Shiv Arati Ends।।
1.श्री शिव जी की आरती-1: ॐ जय शिव ओंकारा
2.श्री शिव जी की आरती-2: हर हर हर महादेव
3.श्री शिव जी की आरती-3: शीश गंग अर्धंग पार्वती
4.श्री शिव जी की आरती-4:आरती भगवान श्री भोलेनाथ जी
5.श्री शिव जी की आरती-5:जयति जयति जग-निवास
6.श्री शिव जी की आरती-6:ॐ जय गंगाधर जय हर गिरिजाधीशा
7.श्री शिव जी की आरती-7:आरती भगवान श्री शिवशंकर
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2.आरती संग्रह -१००+ आरतियाँ
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