श्री विश्वकर्मा जी चालीसा-2
श्री विश्वकर्मा जी चालीसा-2 ॥दोहा॥ विनय करौं कर जोड़कर,मन वचन कर्म संभारि।मोर मनोरथ पूर्ण कर,विश्वकर्मा दुष्टारि॥ ॥चौपाई॥ विश्वकर्मा तव नाम अनूपा।पावन सुखद मनन अनरूपा॥सुंदर सुयश भुवन दशचारी।नित प्रति गावत गुण नरनारी॥ शारद शेष महेश भवानी।कवि कोविद …
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