श्री तुलसी चालीसा
लाही अभिमत फल जगत मह लाही पूर्ण सब काम।
जेई दल अर्पही तुलसी तंह सहस बसही हरीराम॥
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लाही अभिमत फल जगत मह लाही पूर्ण सब काम।
जेई दल अर्पही तुलसी तंह सहस बसही हरीराम॥
श्री सूर्य चालीसा-1 ॥ दोहा ॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ ॥ चौपाई ॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!। सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!। सविता हंस! सुनूर …
श्री सूर्य चालीसा-1 Read More