कबीर के दोहे|Kabir Ke Dohe with Meaning
कामी क्रोधी लालची , इनते भक्ति ना होय ।भक्ति करै कोई सूरमा , जादि बरन कुल खोय ।।1 अर्थ: विषय वासना में लिप्त रहने वाले, क्रोधी स्वभाव वाले तथा लालची प्रवृति के प्राणियों से भक्ति नहीं …
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