तुलसीदास के दोहे-7: आत्म अनुभव
जद्यपि जग दारून दुख नाना।सब तें कठिन जाति अवमाना। इस संसार में अनेक भयानक दुख हैं किन्तु सब से कठिन...
जद्यपि जग दारून दुख नाना।सब तें कठिन जाति अवमाना। इस संसार में अनेक भयानक दुख हैं किन्तु सब से कठिन...
संगति शब्द ही दो शब्दों से मिलकर बना है सम अर्थात बराबर , गति अर्थात परिणति या परिणाम। इसका सीधा...
बन बहु विशम मोह मद माना।नदी कुतर्क भयंकर नाना। मोह घमंड और प्रतिश्ठा बीहर जंगल और कुतर्क भयावह नदि हैं।...
बंदउ गुरू पद कंज कृपा सिंधु नर रूप हरिमहामोह तम पुंज जासु बचन रवि कर निकर ।गुरू कृपा के सागर...
मूक होई बाचाल पंगु चढई गिरिवर गहनजासु कृपा सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन ।ईश्वर कृपा से गूंगा अत्यधिक...
धर्मो रक्षति रक्षितः