श्री लक्ष्मण जी की आरती
आरती लक्ष्मण बालजती की,असुर संहारन प्राणपति की। टेक।
जगमग ज्योत अवधपुरी राजे,शेषाचल पे आप बिराजै॥
घंटा ताल पखावज बाजै,कोटि देव मुनि आरती साजै।
क्रीट मुकुट कर धनुष विराजै,तीन लोक जाकी शोभा राजै॥
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आरती लक्ष्मण बालजती की,असुर संहारन प्राणपति की। टेक।
जगमग ज्योत अवधपुरी राजे,शेषाचल पे आप बिराजै॥
घंटा ताल पखावज बाजै,कोटि देव मुनि आरती साजै।
क्रीट मुकुट कर धनुष विराजै,तीन लोक जाकी शोभा राजै॥
जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि सुन्दर सुपुनीते॥
॥ जय भगवद् गीते…॥
निश्चल-भक्ति-विधायिनि निर्मल मलहारी।
शरण-सहस्य-प्रदायिनि सब विधि सुखकारी॥
॥ जय भगवद् गीते…॥
आयु ओज आरोग्य विकाशिनी,दुःख दैन्य दारिद्रय विनाशिनी।
सुष्मा सौख्य समृद्धि प्रकाशिनी,विमल विवेक बुद्धि दैय्या की॥
आरती श्री गैय्या मैय्या की…।
ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता,
अपने भक्त जनन की दूर करन विपत्ति ॥
अवनि अननंतर ज्योति अखंडित, मंडित चहुँ कुकुमा
दुर्जन दलन खडग की विद्युत सम प्रतिभा॥
क्रोध रूप में खप्पर खाली नहीं रहता।
शांत रूप जो ध्यावे आनंद भर देता।।
हनुमत बाला योगी ठाढ़े बलशाली।
कारज पूरण करती दुर्गा महाकाली।।