करवा चौथ एक ऐसा दिन है जिसका विवाहित स्त्रियां वर्ष भर उत्सुकता पूर्वक प्रतीक्षा करती हैं।

इस दिन वह निर्जला व्रत कर इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा-विश्वास से पूर्ण करती हैं।

करवाचौथ का व्रत पति की लम्बी आयु के लिए रखा जाता  हैं। यह त्योहार पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते और प्यार का प्रतीक है।

करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है: 'करवा' यानी कि मिट्टी का बर्तन जिससे चन्द्रमा को अर्ध्य देते हैं और  व 'चौथ' यानि चतुर्थी तिथि।

मिट्टी के बर्तन यानि करवे की पूजा का विशेष महत्व है,जिससे रात्रि में चंद्रदेव को जल अर्पण किया जाता है।

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। चतुर्थी तिथि को होनी आवश्यक है।   

इस दिन महिलाएं सूर्योदय के बाद  पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं। दिन में शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है। 

शाम को देवी की पूजा होती है, जिसमें सुहागिने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। 

चंद्रमा उदय होने सुहागिने छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देखती हैं। इसके पश्चात पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाते हैं।

इस वर्ष करवा चौथ 13 अक्टूबर 2022 को मनाया जायेगा।