Join Adsterra Banner By Dibhu

कबीर दास के 5 दोहे

0
(0)

कबीर हरि के रुठते, गुरु के शरणै जाय ।
कहै कबीर गुरु रुठते , हरि नहि होत सहाय ।।1

अर्थ: प्राणी जगत को सचेत करते हुए कहते हैं – हे मानव । यदि भगवान तुम से रुष्ट होते है तो गुरु की शरण में जाओ । गुरु तुम्हारी सहायता करेंगे अर्थात सब संभाल लेंगे किन्तु गुरु रुठ जाये तो हरि सहायता नहीं करते जिसका तात्पर्य यह है कि गुरु के रुठने पर कोई सहायक नहीं होता ।

भक्ति बीज पलटे नहीं, जो जुग जाय अनन्त ।
ऊँच नीच बर अवतरै , होय सन्त का सन्त ।।2

अर्थ: भक्ति का बोया बीज कभी व्यर्थ नहीं जाता चाहे अनन्त युग व्यतीत हो जाये । यह किसी भी कुल अथवा जाति में ही , परन्तु इसमें होने वाला भक्त सन्त ही रहता है । वः छोटा बड़ा या ऊँचा नीचा नहीं होता अर्थात भक्त की कोई जात नहीं होती ।

माया दीपक नर पतंग , भ्रमि भ्रमि माहि परन्त ।
कोई एक गुरु ज्ञानते , उबरे साधु सन्त ।।3

अर्थ: माया , दीपक की लौ के समान है और मनुष्य उन पतंगों के समान है जो माया के वशीभूत होकर उन पर मंडराते है । इस प्रकार के भ्रम से, अज्ञान रूपी अन्धकार से कोई विरला ही उबरता है जिसे गुरु का ज्ञान प्राप्त होने से उद्धार हो जाता है ।

प्रीति पुरानी न होत है , जो उत्तम से लाग ।
सो बरसाजल में रहै , पथर न छोड़े आग ।।4

अर्थ: यदि किसी सज्जन व्यक्ति से प्रेम हो तो चाले कितना भी समय व्यतीत हो जाये कभी पुरानी नहीं होती , ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार पत्थर सैकड़ो वर्ष पानी में रहे फिर भी अपनी अग्नि उत्पन्न करने की क्षमता को नहीं त्यागता ।

कामी का गुरु कामिनी , लोभी का गुरु दाम ।
कबीर का गुरु सन्त है, संतन का गुरु राम ।।5

अर्थ: कुमार्ग एवम् सुमार्ग के विषय में ज्ञान की शिक्षा प्रदान करते हुए महासन्त कबीर दास जी कहते है कि कामी व्यक्ति कुमार्गी होता है वह सदैव विषय वासना के सम्पत्ति बटोर ने में ही ध्यान लगाये रहता है । उसका गुरु, मित्र, भाई – बन्धु सब कुछ धन ही होता है और जो विषयों से दूर रहता है उसे सन्तो की कृपा प्राप्त होती है अर्थात वह स्वयं सन्तमय होता है और ऐसे प्राणियों के अन्तर में अविनाशी भगवान का निवास होता है । दूसरे अर्थो में भक्त और भगवान में कोई भेद नहीं ।

Facebook Comments Box

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supporting us more often.😀
Tip us if you find our content helpful,


Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com


संकलित लेख

About संकलित लेख

View all posts by संकलित लेख →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

धर्मो रक्षति रक्षितः