जब प्रार्थना से छाल रोग दूर हुआ -बाबा नीम करोली की चमत्कार कथाएं
राधे श्याम जी पिछले कई वर्षों से अपने पैरों में छालरोग (Psoriasis-सोरायसिस) से ग्रसित थे। रोग के उपचार हेतु उन्होंने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में बहुत लम्बा इलाज कराया। इस उपचार में उनका दवा सहित बहुत पैसा खर्च हुआ। पर इतने लम्बे समय के बाद भी कोई राग में कोई सुधार न होने के कारण राधे श्याम जी मन से हताश हो गए थे।
सन 1985 में, श्री राधे श्याम जी बाबा की महासमाधि की वर्षगांठ, अनंत चतुर्दशी पर आयोजित भंडारे में भाग लेने के लिए अपने भाई और पोते के साथ वृंदावन स्थित आश्रम आये हुए थे । इसी बीच श्री राधेश्याम जी का पोता मौका पाकर अकेले ही बाबा की कुटिया में गया और एक तख़्त पर विराजित बाबा के एक बड़े से चित्र के सामने हाथ जोड़कर उनको भक्ति भाव से प्रणाम किकर प्रार्थना करने लगा।
बालक पोते ने ने बड़ी विनम्रतापूर्वक पूरे मनोभाव से बाबा से अपने दादा की छाल रोग की बीमारी को ठीक करने की प्रार्थना की।
बाबा ने अपनी महासमाधि से पहले एक बार कहा था, “जो भी मेरी तस्वीर के सामने आता है, वह मुझे देखता है।” वह लड़के की शुद्ध मनभाव से की गयी प्रार्थना से बाबा प्रसन्न हुए।
लड़के ने देखा कि बाबा के तस्वीर(फोटो) से प्रकाश की एक ज्योति निकली और इस ज्योति ने एक हाथ का आकार ले लिया, और उसके सिर को आश्रीवाद देने की मुद्रा में छुआ। बालक ने उसी समय उन्होंने फोटो से एक बहुत ही स्पष्ट आवाज आती हुई सुनी, “जाओ, सब ठीक हो जाएगा।”
इस अलौकिक घटना ने बालक को तनिक डरा दिया, और वह अपने दादा के पास इसे बताने को भागा। श्री राधे श्याम जी बाबा की कृपा को समझ गए। उनके पैरों में धीरे-धीरे सुधार हुआ और इस घटना के दस महीने के भीतर ही उनका छालरोग (Psoriasis) पूरी तरह से समाप्त हो गया।
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