भक्त रब्बू जोशी जी का बाबा से प्रथम मुलाकात -बाबा नीम करोली की चमत्कार कथाएं
मेरे बाबा मेरे भगवान
रब्बू जोशी जी के अनुसार, बाबा से प्रथम मिलन पर ही मेरे सिर के पीछे के हिस्से में बाबा जी ने एक मजबूत चपत मारी ! इसके बाद क्या हुआ, भावनाओं का एक विस्फोट जैसा हूआ, मेरी आँखों से धारा प्रवाह आँसु बह निकले ! और मेरे ह्रदय मे एक अमेठी सी उठी जो कि बहुत ही मधुर और मोहक थी और जो कि शब्दों के बयान के बाहर है! मेरा मन एकदम शान्त था और विचार शून्य और ये महान शुन्यता मेरे गुरु की आलौकिक उपस्थिति से अवतरित हुई है! अब वहां किसी गुरु की जरूरत नहीं थी, क्योंकि मै महसूस कर रहा था कि ईश्वर आया है और मेरे ह्रदय मे बैठ गया है! मुझे लगा कि जैसे उस थपथपी मे , सारे अवतार, सारी प्रार्थनायें और सभी धर्मों के और भाषाओं के मन्त्रोच्चार निहित थे ! और उस एक क्षण मे मेरे अन्दर एक ऐसी उद्भावना को बिठा गये कि मेरे मन के सारे द्वैत भाव, वह भी समाप्त हो गये !
यही तो कृपा है! कैसी बात है कि बाबा जी ने एक 18 साल के लडके को जीव तत्व के अद्वैत स्वरूप से एक प्रहार मे अवगत करा दिया! ये बिना कृपा के सम्भव नही था ! 1958 के उस वाक्य के बाद में बिना किसी दुविधा और सन्देह के जीवन जी रहा हूँ! ऐसी बात नही कि दिक्कते न आयी हो य दर्द से न गुजरा होऊ, सो तो खूब मिले —चाहे वो व्यवसाय को लेकर रहे हो, य परिवार मे किसी की बिमारी को लेकर रहे हो, य परिवार मे किसी बच्चे की मृत्यु को लेकर हो, य मेरी खुद की बिमारी रही हो, य दुर्घटनाये हुईं हो, पर हर तकलीफ के समय बाबा जी को छोडकर ,मुझे कभी भी कही य किसी श्रोत के पास जाने की जरूरत नहीं हूई! बाबा ही मेरे सदा सदा के साथी है और मेरे परमेश्वर भी !
जय गुरुदेव
सोई जानइ जेहि देहु जनाई
रब्बू जोशी
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