श्री संकटा माता आरती अर्थ सहित | Shri Sankata Mata Ki Aarti
जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी ।
शरण पड़ी हूँ तेरी माता, अरज सुनहूं अब मेरी ॥
जय जय संकटा भवानी..॥ अर्थ : हे संकठा भवानी माता मैं आपकी आरती करता हूँ। हे माँ
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जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी ।
शरण पड़ी हूँ तेरी माता, अरज सुनहूं अब मेरी ॥
जय जय संकटा भवानी..॥ अर्थ : हे संकठा भवानी माता मैं आपकी आरती करता हूँ। हे माँ
शास्त्रों में पत्नी को वामंगी कहा गया है, जिसका अर्थ इन शब्दों से निकला है होता है, वाम=बायां , अंगी = शरीर के भाग(हिस्सा) से संबंधित। अर्थात शरीर के बाएं भाग वाली या सही शब्दों में शरीर के बाएं अंग की अधिकारिणी। इसलिए पुरुष के शरीर का बायां हिस्सा स्त्री का माना जाता है।
पत्नी वामांगी क्यों कहलाती है? Read Moreप्रस्तावना दशहरा भारत वर्ष के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे बुराई के ऊपर अच्छाई के जीत का त्यौहार भी माना जाता है। वैसे तोहमारे देश के सभी त्योहारों का अलग ही रंग है जैसे …
दशहरा पर निबंध|Dashahara Nibandh in Hindi Read Moreदशहरा २०२२ में ४ अक्टूबर को मनाया जायेगा। दशहरा समस्त भारतवर्ष में मनाया जाने वाला हर्षोल्लास का पर्व है। बुराई के ऊपर सर्वदा अच्छाई के जीत का त्यौहार है।
Dussehra 2022: दशहरा कब है? महत्त्व, मान्यताएं, कथा Read More