अनंतपद्मनाभस्वामी मंदिर के शाकाहारी मगरमच्छ बबिया का देहावसान- Babiya The Vegetarian Crocodile of Anantha Padmanabhaswamy Temple Passed Away
शाकाहारी मगरमच्छ(Vegetarian crocodile) के नाम से विश्व प्रसिद्द, अनंतपद्मनाभस्वामी मंदिर(Anantha Padmanabhaswamy Temple) के अनंतपुरा झील में निवास करने वाले बबिया मगरमच्छ(Babiya crocodile) का अनुमानतः गत रविवार 9 अक्टूबर 2022 को निधन हो गया। दक्षिण भारत के केरल राज्य के कासरगोड जिले के मंजेश्वरम तालुक के कुंबला शहर से लगभग 6 किमी दूर, अनंतपुरा के छोटे से गाँव में एक झील के बीच में बने श्री अनंतपद्मनाभस्वामी मंदिर के मंदिर की झील के रखवाले के तौर पर जाने जाने वाले बाबिया मगरमच्छ को लोग बहुत सम्मान और श्रद्धा से देखते थे। बबिया विगत 75 वर्षों से मंदिर के झील और उसके आस पास की बानी छद्म जल गुफाओं में निवास करता था।
श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बबिया मगरमच्छ-Center of Attraction at Temple
विगत ७५ वर्षों से श्री अनंत पद्मनाभ स्वामी मंदिर(Anantha Padmanabhaswamy Temple) की रखवाली करता हुआ शाकाहारी बबिया मगरमच्छ अपना अधिकांश समय मंदिर के चारो ओर स्थित झील के पास ही में प्राकृतिक रूप से बनी गुफाओं में बिताता था और भूख लगाने पर दोपहर में बाहर निकलता था। मंदिर के पुजारी दिन में दो बार बबिया को भगवान का प्रसाद व भोजन खिलाते थे।पुजारियों के अनुसार बबिया को खाने में लगभग १ किलो चावल और गुड़ से बना दलिया दो बार दिया जाता था। इसके अतिरिक्त मंदिर में आने वाले भक्तजन भी उसे चावल और गुड़ खिलाते थे।भोजन के समय आवाज देने पर वह बाहर आ जाता था। नित्य भगवान की पूजा के पश्चात बबिया को भोजन दिया जाता था।
बबिया मंदिर में पालतू जीव की तरह विचरण करता था। श्रद्धालु उससे बिलकुल भयभीत नहीं होते थे। बबिया वर्षों से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा।
अपनी तरह का इकलौता मगरमच्छ- The only Crocodile of it’s Kind
माता गंगा नदी का वाहन कहे जाने वाले मगरमच्छ प्रजाति का अस्तित्व धरती पर करोड़ों वर्षों से हैं और उनक खान-पान और व्यवहार में कोई सृष्टिगत परिवर्तन नहीं हुआ है! आज कल के लोगों से मांसाहार त्यागने को कहने पर उनकी त्यौरियां चढ़ जाती हैं। इस पर स्वभाव से ही प्रबल मांसाहारी होने वाले मगरमच्छ जैसे जीव की शाकाहारी होने की कल्पना ही असंभव लगाती है। पर यह असंभव संभव कर दिखाया बबिया (Babiya Crocodile)ने।
इतने वर्षों में उसने कभी किसी पर हमला नहीं किया।लोग बबिया को भगवान का सेवक कहते थे। बाबिया के साथ झील में ढेर सारी मछलियां भी रहती हैं , परन्तु मंदिर के कर्मचारियों का दावा है कि बबिया कभी मछलियों को नहीं खाता था। झील में नहाने वाले भक्तों को भी बाबिया कभी नुक्सान नहीं पहुंचाता था। इस प्रकार मगरमच्छों की खतरनाक छवि से बिलकुल अलग बबिया दुनियाँ में अपनी तरह का इकलौता मगरमच्छ(vegetarian crocodile) था।
शाकाहारी मगरमच्छ बाबिया की मृत्यु और श्रद्धांजलि-Holmage to The Vegetarian Crocodile Babiya
मंदिर के अधिकारियों के मुताबिक बबिया मगरमच्छ विगत शनिवार 8 अक्टूबर से ही नहीं देखा गया था और 9 अक्टूबर रविवार रात 11.30 के लगभग बाबिया का शव झील पर तैरता हुआ मिला।तत्पश्चात इसकी सूचना पुलिस और पशुपालन विभाग को दे दी गई। सूचना मिलते ही बबिया मगरमच्छ के अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ आयी। बबिया के शव को झील से निकाल कर सार्वजनिक श्रंद्धाजलि के लिए रखा गया। सोमवार सुबह से ही को राजनेताओं सहित बहुत सारे श्रद्धालुओं ने बबिया को अंतिम श्रद्धांजलि दी।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने बबिया मगरमच्छ(Babiya Crocodile) को श्रंद्धाजलि दी और कहा कि उम्मीद है कि 70 से अधिक वर्षों से मंदिर की रखवाली करने वाले बबिया मगरमच्छ को मोक्ष प्राप्त हुआ हो।
कौन थे बाबिया:एक उदगार-Thoughts on Babiya
हम कभी कभी ऐसी घटनाओं के बारे में सुनते हैं तो प्रकट रूप से मन एक मांसाहारी जीव के शाकाहारी होने के पीछे कोई ठोस कारण नहीं समझ आता। पर यदि हम शास्त्रों के अनुसार समझें तो आत्मा का कभी कभी तिर्यक योनि में जन्म होता है। कभी कभी कोई भक्त अपनी किसी अनजानी भूल की वजह से मुक्ति के मार्ग से भटक जाता है तब उसे अगले जन्म में किसी निचली पशु योनि में भी जन्म लेना पड़ सकता है। ऐसे में भी भगवान की कृपा से उसके पूर्व जन्म के भक्ति संस्कार प्रबल रहते हैं और वह मांसाहार आदि का त्याग करके भगवान की सेवा में तल्लीन रहता है।
एक दूसरे कारण के अनुसार कई बार भगवान के साथ रहने वाले पार्षद भगवान के विशिष्ट मंदिरों में अपनी सेवा प्रदान कारण हेतु रूप बदलकर जन्म लेते हैं और सेवा कार्य काल समाप्त होने पर पुनः अपने लोक चले जाते हैं।
संभवतः हो सकता है कि बबिया मगरमच्छ (Babiya Crocodile) भी अपने पिछले जन्म में अवश्य भक्त या भगवान के पार्षद रहे होंगे और अब पुनः भगवान के धाम प्रस्थान कर गए हैं।
यहाँ यह भी ध्यान देने की बात है कि रविवार को परम पवित्र शरद पूर्णिमा की रात्रि थी। इस दिन की अमृत वर्षा का दिन मन जाता है और माता लक्ष्मी का अवतरण दिवस भी। ऐसे शुभ दिन देहावसान बड़े कठिन तपस्या और भक्ति के फलस्वरूप ही प्राप्त होता है। पूर्णिमा के दिन के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं। मंदिर अनंत पद्मनाभस्वामी(Anantha Padmanabhaswamy Temple) भी उन्ही का है। बाबिया उन्ही के सेवा में थे फलतः भगवान ने बाबिया को उनकी सेवा का उच्च फल अवश्य ही दिया है ऐसा हमारा संकेतों को देखकर मानना है।
Dibhu.com ने २ वर्ष पहले बाबिया पर एक पोस्ट डाली थी। जानिए बाबिया और अनंत पद्मनाभस्वामी मंदिर की पूरी कथा-जब एक अंग्रेज ने बाबिया के पहले रहने वाले मगरमच्छ को गोली मार दी थी।
ईश्वर बाबिया की आत्मा को सद्गति प्रदान करें ॐ शांति:! ॐ शांति:! ॐ शांति: !
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