ज्ञानवापी सर्वे में शिवलिंग से भी बड़ा सबूत मिला है। यह सबूत विवादित स्थल पर मंदिर होने का दवा और पुख्ता करता है। इस सबूत के बाद मंदिर बनने से कोई रोक ही नहीं सकता।
-ज्ञानवापी सर्व के मामले में पूरी दुनिया की नजर वजूखाने में मिले शिवलिंग पर ही टिकी हुई है लेकिन सर्वे की जो रिपोर्ट कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह जी ने कोर्ट में सौंपी है उसमें शिवलिंग से भी बड़ा सबूत मिल गया है।
-दरअसल ज्ञानवापी के ढांचे के ऊपर आप तीन गुंबद देखते हैं जो सफेद रंग के हैं। क्योंकि आज तक कोई हिंदू मस्जिद के अंदर जा ही नहीं पाया था इसलिए वो देख ही नहीं पाया कि अंदर क्या है लेकिन 350 साल बाद जब हिंदू अंदर गए तो ज्ञानवापी मस्जिद का असली राज पूरी दुनिया के सामने आ गया।
-दरअसल जो सफेद गुंबद आप देख रहे हैं उसके नीचे आज भी पुराने मंदिर का शिखर मौजूद है ।यानी औरंगजेब के सिपेहसालारों ने ऊपर से ही मंदिर के शिखर को एक टोपी नुमा गुंबद से ढक दिया ।
-जब हिंदू पक्षकार ज्ञानवापी के अंदर गए तो उन्होंने ऊपर गुंबद की तरफ आंख उठाई तो उनको मंदिर का शिखर नजर आने लगा।
-ज्ञानवापी के ढांचे पर जो 3 सफेद गुंबद हैं उसके ठीक नीचे आज भी मंदिर के तीन शिखर ज्यों के त्यौं मौजूद हैं…. कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की सर्वे रिपोर्ट के पेज नंबर 4 पर इसका पूरा विवरण है जो यथावत नीचे है।
विवादित परिसर में सीढ़ी चढने के बाद सबसे पहले उत्तर दिशा में गुंबद के अंदर घुसकर देखा गया (जिसमें घुसने के स्थान की दिशा दक्षिण पश्चिम में है) तो यहां पर अंदर से ऊपरी गुंबद के साढ़े 5 फीट नीचे शंकुकार शिखर नुमा आकृति मिली, जिसकी ऊंचाई 25 फीट तथा व्यास लगभग 18 फीट है। यह भी पाया गया कि बाहरी गुंबद की दीवार की मोटाई 2.5 फुट तक है गुंबद के अंदर 3 फुट चौड़ा रास्ता गोलाकार अंदर के शिखर के चारों तरफ है। इस प्रकार मस्जिद के बाहर से दिखने वाले उत्तरी गुंबद के भीतर शंकुकार शिखरनुमा स्ट्र्क्चर है।
तत्पश्चात केंद्रीय मुख्य गुंबद जिसमें घुसने का स्थान उत्तर पश्चिम में है और जिसमें जाने के लिए सीढ़ी की आवश्कता है एवं सीढ़ी की व्यवस्था होने पर उसके अंदर ही घुसने पर पाया गया कि इसमें भी गुंबद के नीचे एक अन्य शंकुकार शिखर नुमा स्ट्रक्चर कायम है और उसी के ऊपर और उसके बाद ही मस्जिद का बाहर से दिखने वाला गुंबद बनाया गया है।बाहरी गुंबद के अंदर का व्यास 28 फीट है जिसमें 3 फीट की गैलरी है। अंदर के शंकुकार शिखर की ऊंचाई 2.5 फुट और नीचे का व्यास 22 फीट है।
अंत में दक्षिण दिशा में तीसरा गुंबद कायम है जिसमें अंदर जाने पर एक पत्थर पाया गया है जिसे कि गुंबद में उतरने हेतु एक सीढ़ी के रूप में प्रयोग होना प्रतीत होता है और तीसरे गुंबद में भी ढाई फीट चौड़ी दीवार तीन फीट की गैलरी व ढाई फुट ऊंचा और लगभग 21 फुट बेस की व्यास की शिखर नुमा शंकुकार स्ट्रक्चर मिला पत्थर पर फूल पत्ती और कमल के फूल की कलाकृति मिली इन तीनों बाहरी गुंबद के नीचे पाई गई तीन शंकुकार शिखर नुमा आकृति को वादी पक्ष के द्वारा प्राचीन मंदिर के ऊपर के शिखर पाए गए जिसे कि प्रतिवादी पक्ष द्वारा गलत कहा गया है।
ऊपर जो लिखा गया है वो सर्वे रिपोर्ट के ही पेज नंबर 4 का अंश है ।
-यानी स्पष्ट है कि मंदिर का शिखर आज भी ज्यों का त्यों मौजूद है और उसके ऊपर ही गुंबद बना हुआ है ये सूर्य के समान चमकता हुआ सत्य है जिसे कोई भी जाकर देख सकता है लेकिन इसके बावजूद भी उसमें नमाज पढ़ी जाती रही …??
ज्ञानवापी_मन्दिर
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