गुरुपत्नी , राजपत्नी , देवपत्नी , पुत्रवधु , माता की बहिन , पिता की बहिन , शिष्यपत्नी , भृत्य पत्नी ( नौकर की पत्नी ) , मामी , पिता की पत्नी ( माता और विमाता ) , भाई की पत्नी , सास , बहिन , बेटी , गर्भ में धारण करने वाली ( जन्मदात्री ) तथा इष्टदेवी – ये पुरुष की सोलह माताएं हैं !
- गुरुपत्नी – आपके गुरुदेव की पत्नी भी आपकी माता के सामान ही हैं
- राजपत्नी -राजा की पत्नी
- देवपत्नी – देवताओं की पत्नियां जैसे देवराज इंद्र की पत्नी शची माता सामान हुईं।
- पुत्रवधु – बहु या बेटे की पत्नी
- माता की बहिन – मौसी
- पिता की बहिन – बुआ
- शिष्यपत्नी – अपने शिक्षा दिए हुए छात्र की पत्नी
- भृत्य पत्नी – नौकर की पत्नी
- मामी – माता के भाई की पत्नी
- पिता की पत्नी ( माता और विमाता )- सगी माँ और सौतेली माँ
- भाई की पत्नी -भाभी माँ सामान होती है यह भावना यही से आयी है।
- सास – आपके पत्नी की माता
- बहिन
- बेटी – बहन और बेटी रूप में साक्षात् माता शक्ति ही आपका कल्याण करने हेतु जन्म लेती हैं
- गर्भ में धारण करने वाली ( जन्मदात्री ) तथा
- इष्टदेवी – जिन देवी की आप आराधना करते हैं
ये पुरुष की सोलह माताएं हैं !
गुरुपत्नी राजपत्नी देव्पतनी तथा वधु: !
पित्रो: स्वसा शिष्यपत्नी भृत्यपत्नी च मातुली !!
पितृपत्नी भ्रातृपत्नी श्वभृशच भगिनी सुता !
गर्भधात्रीषट्देवी च पुन्सः षोडश मातरः !!
– ब्रह्मवैवर्त्य पुराण
इतनी महान हमारी सनातन धरम संस्कृति जहाँ सेवक (भृत्य ) के पत्नी तक को माता मानाने को कहा गया है। संबंधों में उच्चतम आदर्श हमारी ही संस्कृति को महान्तं बनाते हैं।
!!जयति जय सनातन धर्म !!
पोस्ट सौजन्य :श्री पंकज उपाध्याय
Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supporting us more often.😀
Tip us if you find our content helpful,
Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com