भगवान् कृष्ण ने जब देह छोड़ा तो उनका अंतिम संस्कार किया गया , उनका सारा शरीर तो पांच तत्त्व में मिल गया लेकिन उनका हृदय बिलकुल सामान्य एक जिन्दा आदमी की तरह धड़क रहा था और वो बिलकुल सुरक्षित था । उनका हृदय आज तक सुरक्षित है, जो भगवान् जगन्नाथ की काठ की मूर्ति के अंदर रहता है और उसी तरह धड़कता है , ये बात बहुत कम लोगो को पता है।
कलियुग के भगवान:
महाप्रभु जगन्नाथ(श्री कृष्ण) को कलियुग का भगवान भी कहते है। पुरी(उड़ीसा) में जगन्नाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करते है।
पुरी जगन्नाथ जी के मंदिर के कई रहस्य ऐसे है कि आजतक कोई न जान पाया।आइये जानते हैं उन रहस्यों के बारे में-
श्री जगन्नाथ जी के मंदिर के रहस्य(Mysteries of Shri Jagannath Temple):
-हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ति को बदला जाता है,उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है यानी पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है। लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को CRPF की सेना चारो तरफ से घेर लेती है।उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता।
-मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है।पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है।पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है। वो पुरानी मूर्ति से “ब्रह्म पदार्थ” निकालता है और नई मूर्ति(Shri Jagannath Murti) में डाल देता है।ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आजतक किसी को नही पता।इसे आजतक किसी ने नही देखा। हज़ारो सालो से ये एक मूर्ति से दूसरी मूर्ति में ट्रांसफर किया जा रहा है।ये एक अलौकिक पदार्थ है जिसको छूने मात्र से किसी इंसान के जिस्म के चिथड़े उड़ जाए।
– इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है।मगर ये क्या है ,कोई नही जानता। ये पूरी प्रक्रिया हर 12 साल में एक बार होती है।उस समय सुरक्षा बहुत ज्यादा होती है।
मगर आजतक कोई भी पुजारी ये नही बता पाया की महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ति में आखिर ऐसा क्या है ???
कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने उसे हाथमे लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था।आंखों में पट्टी थी। हाथ मे दस्ताने थे तो हम सिर्फ महसूस कर पाए।
-सोने की झाड़ू से होती है सफाई……आज भी हर साल जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते है।
-भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज अंदर सुनाई नहीं देती,।जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देंगी।
आपने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता।
-दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती।
-भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की उल्टी दिशामे लहराता है।
-भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा।
-इसी तरह भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, जो हर दिशा से देखने पर आपके मुंह आपकी तरफ दीखता है।
-भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, जिसे लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है, इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है।
-भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जैसे ही मंदिर के पट बंद होते हैं वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है।
ये सब बड़े आश्चर्य की बातें हैं…
? जय श्री जगन्नाथ ?
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