सरकारें 5 साल में बदलती है ब्यूरोक्रेसी को बदलने में 10-20-30 साल लगते है! कोई किसी का दिमाग पढ़कर नहीं बता सकता कि वो किस विचारधारा का है! और मात्र विचारधारा की वजह से किसी को नौकरी से नहीं हटाया जाता! तो बताइए समाधान क्या है ???
इतना काफी नहीं है क्या कि आज हम सब राष्ट्रविरोधियों की हकीकत जानते है! ये सब इसी सरकार की वजह से ही तो संभव हुआ है!
बाकी ब्यूरोक्रेसी के बारे में तो खुद प्रधानमंत्री मोदी कई बार खुल के अपने विचार रख चुके है! वो खुद मजबूर है, सरकार के भी कुछ संवैधानिक बंधन है, इसके बावजूद केंद्रीय विभागों में बैठे सैकड़ों ब्यूरोक्रेट्स को मोदी सरकार ने संविधानिक अधिकारो का इस्तेमाल करते हुए रिटायर कर दिया!
मोदी जी ने ब्यूरोक्रेट्स के बारे में एक बार कहा था, “कोई काम नहीं करना चाहता, काम करवाना पड़ता है” मोदी जी यहां तक कह चुके है कि पुराने अधिकारी फाइलें दबा के बैठे रहते थे, अब वो जा रहे है और उनकी जगह नए आ रहे है तो फाइलें भी मिलना शुरू हो गई है! ये 2019 चुनाव से ठीक पहले कहा था, उसके बाद हम सबने देखा चिद्दू 106 दिन तिहाड़ में रहा!
अक्सर लोग आरोप लगाते है कि एक भी भ्रष्ट नेता को जेल में नहीं डाल पाई सरकार! यहां एक बात स्पष्ट कर लीजिए, जेल में डालना या बेल देना सरकार के हाथ में नहीं होता ये कोर्ट का काम होता है! भ्रष्ट नेता बाहर है तो कोर्ट ने उन्हें बेल दी है!
अब आप कहेंगे तो मोदी सरकार ने क्या किया? मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले की एजेंसियों से जांच करवाई, रुकी जांच को आगे बढ़ाया, नए कानून बनाए, पुराने कानून समाप्त किए, कानून में व्याप्त लूप होल को ढूंढा और संशोधन करके उस बंद किया, सिस्टम को ऑनलाइन करके पारदर्शी बनाया! ये प्रक्रिया पिछले 6 साल से निरंतर जारी है और आगे भी जारी रहेगी!
ब्यूरोक्रेसी में कांग्रेसी मानसिकता के होते हुए भी मोदी जी ने पिछले 6 साल में देश के लिए बहुत कुछ किया है, गिनाने लगा जाऊं तो उसपर एक किताब छप जाए! तभी एक बार मोदी जी ने कहा था कि काम करवाना पड़ता है! मोदी जी को पता है कि उन्हें कब क्या करना है!
ब्यूरोक्रेसी के कारण जो गलत हो रहा है उसको सामने लाइए अच्छी बात है! लेकिन उसके लिए सीधे मोदी जी अमित शाह या फिर भाजपा को टारगेट करना पूर्णतः गलत है! सरकार जनता से सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़ी ही इसलिए है कि ब्यूरोक्रेसी की किसी गलती को आप सरकार तक पहुंचा सकें या सरकार की किसी नीति व निर्णय पर या कोई नया नियम कानून बनाने से पहले सरकार जनता की राय जान सके!
लेकिन यहां होता क्या है? सबसे पहले मोदी/शाह/भाजपा को टारगेट किया जाता है! अन्य समर्थको को नेतृत्व के विरुद्ध भड़काया जाता है! यही सब चीजें अगर चुनाव के वक़्त होती है तो निश्चित इसका परिणाम राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसा होता है!
सोचने समझने के सीमित दायरे को विस्तृत कीजिए, अक्सर मोदी सरकार का कोई निर्णय समझ न आने पर लोग तमतमा जाते है, आलोचना शुरू हो जाती है!
आपके लिए शायद ये लड़ाई मामूली हो, परन्तु नेतृत्व अल्पकालिक परिणामों के लिए नहीं दीर्घकालिक परिणामों के लिए लड़ रहा है। कभी कभी बड़ी लड़ाई जीतने के लिए कुछ कदम पीछे भी हटना पड़ता है। बेमेल गठबंधन भी करना पड़ता है। नैतिकता का भी त्याग करना पड़ता है। परन्तु एक चीज जो कभी नहीं बदलती वो है राष्ट्रवादी विचारधारा।
आपने मोदी जी पर विश्वास करके उन्हें 303 सीटें दी। बदले में मोदी जी ने आपको 370 मुक्त भारत दिया, 35A मुक्त भारत दिया, हिंदुस्तान में हिन्दू समेत अन्य 5 धर्मो (सिक्ख, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी) के शरणार्थियों को नागरिकता दी। राम मंदिर दिया। इसके अलावा 6 वर्ष में 70 वर्षों का दुगुना विकास दिया। भ्रष्टाचार मुक्त सरकार दी। जनता को सुशासन दिया। दुश्मन देश पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे निर्णयों से मुंहतोड़ जवाब दिया। हर भारतवासी का सीना गर्व से ऊंचा किया। विश्व में भारत का डंका बजाया।
और अभी तो 4 साल बाकी है। TrustNaMo
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