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मित्रता पर कुछ कविताएं एवं रचनाएं

‘मित्र वही है।’ मैथिलीशरण गुप्त की सुन्दर रचना तप्त हृदय को , सरस स्नेह से, जो सहला दे , मित्र वही है। रूखे मन को , सराबोर कर, जो नहला दे , मित्र वही है। प्रिय …

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