ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं-राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ” दिनकर “
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ” दिनकर ” ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं!! है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं!! धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा …
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