Join Adsterra Banner By Dibhu

श्री कृष्ण चालीसा-2

0
(0)

श्री कृष्ण चालीसा-2

॥दोहा॥

श्रीराधे अर्पित करुं,मानस के ये फूल।
हे माधव तुमको भजृं,कीजे चरणन धूल।।

॥चौपाई॥

जय गिरधारी कुंज बिहारी। सारे जग का तू रखवारी ।।1
रास रचैया जय बनवारी । हे मनमोहन कृष्ण मुरारी।।2

संतन रक्षक पीड़ा हारी । दुष्ट विनाशक तू अवतारी।।3
चौसठगुण सब तुमहि जाना। सोलाह कला लिये भगवाना।।4

जनम जेल मे तुमने पाया। दो मातन का पूत कहाया।।5
कृष्णा आठम भादों मासा। रात अंधेरी भयो प्रकाशा ।।6

मथुरा से गोकुल में आये। जमनाजी ने चरण धुलाये।।7
देवकी वसुदेवा ने जाये। नंद जसोदा गोद खिलाये।।8

मोर मुकुट माथे पे सोहे। कटि कछनी मुख चंदा मोहे।।9
अधरा बंशी उर बनमाला। श्याम शरीरा नैन विशाला।।10

दाऊ के संग गाय चराते। माखन मिसरी तुमको भाते।।11
सखा सुदामा संग पढ़ाई। गुरु सांदीपन शिक्षा पाई।।12

बहिन सुभदरा दाऊ प्यारे। जगन्नाथ रथ घूमन हारे।।13
सखियन के संग रास रचाया। ग्वालों का भी साथ निभाया।।14

दूध पूतना मार गिराई । कुबड़ी की भी कूब मिटाई।।15
जमना गेंद खोज कन्हाई। नाग नाथ कर नाच नचाई।।16

गोवर्धन धर ग्वाल बचाये। इंदर राजा गरब गिराये ।।17
परिकम्मा गिरिराज कराते। सारे दुख दारिद मिट जाते।।18

टेढ़ी टांगे कमर झुकाते। मंद हंसी प्रभु राग सुनाते।19
मथुरा जनता से भी प्रीती। हाथी मर्दन कुश्ती जीती ।।20

मामा कंसा मार गिराया। नाना को फिर राज दिलाया।।21
वृषभानू की बेटी भोरी। राधा के संग खेले होरी।।22

बरसाने की महिमा आनी। श्याम पियारी श्री महरानी।।23
वृन्दावन में रास रचाई। नंद गांव की प्रीति निभाई।।24

प्रेम डोर को तोड़़ न पाये। ऊखल नलमणि मुक्त कराये।।25
ब्रह्मा बछरा ग्वाल चुराये। एक साल तक भेद न पाये।।26

न्याय धरम की भई लड़ाई। तुम पांडव के बने सहाई।।27
कुरु क्षेत्र रण डंका बाजा। भू मंडल के आये राजा।।28

गीता का उपदेश सुनाया। सारे जग को पाठ पढ़ाया।।29
साग विदुर का रुचि से खाया। दुर्योधन मेवा ठुकराया।।30

सेठ संवरिया भात सजाया। नरसी भगती मान बड़ाया।।31
करमा बाई खिचड़ी खाई। प्रेम भाव भगती दिखलाई।।32

जल में गज को आय बचाया। द्रोपदि का भी चीर बड़ाया।।33
महल छोड़ मीरा ने पाया। संतन के संग रो रो गाया।।34

वल्लभ सूरा अरु रसखाना। चेतन माधव भगत है नाना।।35
बद्रीनाथा नर जगदीशा। पुरी द्वारिका द्वारकधीसा।।36

शारद नारद निशिदिन गावे। तो भी प्यारे भेद न पावे।।37
शेष गणेश महेशा ध्यावे। जिनको गोपी नाच नचावे।।38

खाटू श्यामा कलि अवतारा। रामदेव रुणजा करतारा ।।39
तू ही ठाकुर तू श्रीनाथा । सदा रहो प्रभु मेरे साथा।।40

मसान कवि चालीसा गाया। तूने ही तो पार लगाया।।41

॥दोहा॥

यह चालीसा जो पढ़े, धर मन में विश्वाश।
तनमनधन सुख पाइया, अंत कृष्ण को वास।।

रचनाकार: डाॅ दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

आगर (मालवा) मध्य प्रदेश

Source: https://shikshavahini.page/article/shree-krshn-chaaleesa/pAplfp.html

Havlesh Kumar Patel

1.चालीसा संग्रह -९०+ चालीसायें
2.आरती संग्रह -१००+ आरतियाँ

Facebook Comments Box

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supporting us more often.😀
Tip us if you find our content helpful,


Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

धर्मो रक्षति रक्षितः