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नरक चतुर्दशी कैसे मनाते हैं|How to celebrate Narak Chaturdashi

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Table of Contents

नरक चतुर्दशी का क्या महत्व है?- Significance of Narak Chaturdashi

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन लोग अपने और पूर्वजों के नरक से उद्धार के लिए पूजा प्रार्थना करते हैं। अच्छे स्वास्थ्य और रूप सौंदर्य के लिए विधि विधान सहित स्नान पूजा करते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण, वामन देव, शिव परिवार, यमराज, माता काली और हनुमान जी की पूजा की जाती है।

नरक चतुर्दशी क्यों मानते हैं- Why Narak Chaturdashi is celebrated?

छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) नर्क चतुर्दशी या नरक चौदस जो दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन तेल का एक दीपक जलाए जाने की प्रथा है। इस कारण इसे छोटी दिवाली/दीपावली कहा जाता है। अपने परिवार के आरोग्य तथा मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए इसे मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) कई नामों के जानी जाती है। इनमें से मुख्य शुद्ध नाम ‘नरक निवारण चतुर्दशी’ है। यथा नाम तथा गुण नरक निवारण चतुर्दशी मुख्यतः नरक का निवारण (नर्क से छुटकारा) करने का पर्व है। संभवतः नरक निवारण चतुर्दशी नाम लम्बा होने की वजह से बाद में नरक चतुर्दशी के नाम से प्रचलित हो गया।

यद्यपि कई लोग इसे नरकासुर के इस दिन मारे जाने से भी इसका नरक चतुर्दशी नाम कहते हैं वह भी सार्थक है। यद्यपि नरक चतुर्दशी द्वापर युग से भी पहले से मनाया जाता रहा है। स्वयं नरक से बचना और पितरों के नरक से उद्धार के प्रयोजन के कारण ही इसका नरक निवारण चतुर्दशी नाम ही मूल रूप से सही प्रतीत होता है।

नरक चतुर्दशी के सभी नाम – All Names of Narak Chaturdashi

  1. नरक निवारण चतुर्दशी
  2. नरक चतुर्दशी
  3. छोटी दीपावली
  4. नरक चौदस
  5. रूप चौदस
  6. रूप चतुर्दशी
  7. नर्क चतुर्दशी
  8. नरका पूजा
  9. काली चौदस

नरक चतुर्दशी के दिन क्या करें और क्या न करें

नरक चतुर्दशी के दिन क्या करें- What to do on Narak Chaturdashi

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन सूर्योदय के पूर्व स्नान करते हैं और संध्या वेला में देवताओं की पूजा करने के पश्चात घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ तेल का दिया (यमदीप) जलाया जाता है। साथ ही इस दिन साथ ही इस दिन भगवन श्री कृष्ण, वामन देव, शिव परिवार, यमराज, माता काली और हनुमान जी की पूजा का भी विधान है।

1. सूर्योदय पूर्व विशेष सौंदर्य स्नान- Bath Before Sunrise on Narak Chaturdashi

रूप चौदस व्रत से मिलता है स्वस्थ और रूपवान शरीर

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) को रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। आज के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान अवश्य करना चाहिए। सूर्योदय से पूर्व तिल्ली के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए, उसके बाद अपामार्ग का प्रोक्षण करना चाहिए तथा लौकी के टुकडे और अपामार्ग दोनों को अपने सिर के चारों ओर सात बार घुमाएं। ऐसा करने से नरक का भय दूर होता है। साथ ही पद्मपुराण के मंत्र का पाठ करें।

“सितालोष्ठसमायुक्तं संकटकदलान्वितम। हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:॥”

अर्थात् “हे तुम्बी (लौकी) हे अपामार्ग तुम बार बार फिराए जाते हुए मेरे पापों को दूर करो और मेरी कुबुद्धि का नाश कर दो।”

फिर स्नान करें और स्नान के उपरांत लौकी और अपामार्ग को घर के दक्षिण दिशा में विसर्जित कर देना चाहिए। इससे रूप बढ़ता है और शरीर स्वस्थ्य रहता है। आज के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से मनुष्य नरक के भय से मुक्त हो जाता है।

पद्मपुराण में लिखा है कि- “जो मनुष्य सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है, वह यमलोक नहीं जाता है अर्थात् नरक का भागी नहीं होता है।”

भविष्यपुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को जो व्यक्ति सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके पिछले एक वर्ष के समस्त पुण्य कार्य समाप्त हो जाते हैं। इस दिन स्नान से पूर्व तिल्ली के तेल की मालिश करनी चाहिए, यद्यपि कार्तिक मास में तेल की मालिश वर्जित होती है, किन्तु नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन इसका विधान है। नरक चतुर्दशी को तिल्ली के तेल में लक्ष्मी जी तथा जल में गंगाजी का निवास होता है।

 इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी( अपामार्ग ) के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का बड़ा महात्मय है। स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है। इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।

2.संध्या समय दीपदान– Burning Lamp in Evening on Narak Chaturdashi

यम के नाम का दीप करें दान-अपने और अपने पितरों के कल्याणार्थ मनाएं छोटी दीपावली; नरकों के स्वामी यमराज जी के लिए करें दीपदान।

दैत्यराज बलि ने भगवान वामन से वरदान माँगा था की कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में जो व्यक्ति दीपावली मनाये उसके घर में लक्ष्मी का स्थायी निवास हो तथा जो व्यक्ति चतुर्दशी के दिन नरक के लिए दीपों का दान करेंगे, उनके सभी पितर कभी नरक में ना रहें, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए।

सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।इस दिन यमदेव की पूजा अर्चना करने अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और सभी पापों का नाश होता है। तथा घर में सकारात्मकता का वास होता है।

इस दिन सुबह उठकर आटा तेल हल्दी से उबटन करे फिर स्नान करे । भोजन करने से पहले पूजा करे ।

नरक चतु्र्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है।सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है।इस दिन एक पात्र में तिल वाला जल भरें और दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके यमराज का तर्पण करें।

इस दिन पूरे देश में आयु के देवता यमराज के नाम का दीप दान भी किया जाता है ।संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं।ऐसे में शाम के समय यमदेव की पूजा करें और चौखट के दोनों ओर दीप जलाकर रखें। इसके लिए घर के मुख्य द्वार par अनाज की ढेरी रखी जाती है जिस पर रखकर सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है । लेकिन ध्यान रखें कि दीपक की लौ दक्षिण दिशा की तरफ होनी चाहिए ।

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन संध्याकाल में मिटटी का 4 बत्‍ती वाला चौमुखा दीपक पूर्व दिशा में घर के बाहर मुख्‍य द्वार के दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाना चाहिए।

इस दिन नीले तथा पीले रंग के वस्त्र धारण करने की भी मान्यता है |

नरक चतुर्दशी के दिन शाम को 14 दीपक जलाने की परंपरा है। सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद घर के बाहर दक्षिण दिशा में तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

शास्त्रों में चतुर्दश (14) यम का उल्लेख किया गया है। यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, काल, सर्वभूतक्षय, औदुभ्बर, दघ्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त – इन चौदह नामों से यमराज की आराधना होती है। इन्हीं नामों से इनका तर्पण किया जाता है। इसीलिए नरक चतुर्दशी पर 14 दिए जलाने का विशेष विधान हैं।

कई घरों में इस रात घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीया जलाकर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे लेकर घर से बाहर कहीं दूर रख कर आता है । घर के बाकी सदस्य अंदर रहते हैं और दीए को नहीं देखते । यह दीया यम का दीया कहलाता है, मान्यता है कि पूरे घर में इसे घुमा कर बाहर ले जाने से सभी बुराइयां और कथित बुरी शक्तियां घर से चली जाती हैं ।

इस दिन भी व्रत रखा जाता हैं जिससे व्यक्ति को नर्क से मुक्ति मिलती हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं तथा स्वस्थ और रूपवान शरीर की प्राप्ति होती है।

यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, काल, सर्वभूतक्षय, औदुभ्बर, दघ्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त – इन चौदह नामों से यमराज जी की आराधना होती है।

छोटी दिवाली- नरक चतुर्दशी को किन देवी देवताओं की करें पूजा – Who do we worship on Narak Chaturdashi

इस दिन 6 देवी देवताओं यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और वामन की पूजा का विधान है। ऐसे में घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से पूजा अर्चना करें। सभी देवी देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रो का जाप करें।

1. भगवान श्री कृष्ण की पूजा- Narak Chaturdashi Bhagwan Shri Krishna Ki Puja

इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था और 16000 राजकुमारियों को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन को भगवान श्री कृष्ण की उनकी पत्नी सत्यभामा के साथ पूजा की जाती है।

2. वामन पूजा : नरक चतुर्दशी के दिन वामन देव पूजा-Narak Chaturdashi Vaman Dev Ki Puja

नरक चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है। इसी दिन भगवान वामन ने राजा बलि को पाताल का राजा बनाया था और उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान भी दिया था। भगवान वामन ने राजा बलि से कहा था कि तेरे राज्य में जो भी यम को दीपदान करेगा, उसके पितरों को कभी भी नर्क नहीं जाना पड़ेगा और न हीं उसे नर्क की यातनाओं को भोगना पड़ेगा। इसी वजह से इस दिन वामन देव की पूजा भी की जाती है। इस दिन लोग शाम के वक़्त अपने-अपने घरों में दीप जलाते व दीपदान भी। ऐसा करने वालों को इस दिन भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

3. शिव चतुर्दशी : नरक चतुर्दशी पर भगवान शिव की पूजा-Narak Chaturdashi Bhagwan Shiv Ki Puja

नरक चतुर्दशी का दिन भगवान शिव का दिन भी माना जाता है इसलिए इसे कई जगह पर शिव चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की उनके पूरे परिवार के साथ पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन शिवलिंग का प्राकट्य भी हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और यमराज का भी भय नहीं रहता। इस क्योंकि भगवान शिव को कालों का भी काल माना गया है। इसलिए नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) भगवान शिव की पूजा भी की जाती है।

4. नरक चतुर्दशी पर यमराज जी की पूजा-Narak Chaturdashi Hanuman Ji Ki Puja

 नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन यम की पूजा करने के बाद शाम को दहलीज पर उनके निमित्त दीप जलाएं जाते हैं जिससे अकाल मृत्यु नहीं होती है।इस दिन सूर्यास्त के पश्चात लोग अपने घरों के दरवाजों पर 14 दीये जलाकर दक्षिण दिशा में उनका मुख करके रखते हैं तथा पूजा-पाठ करते हैं। इस दिन 14 दीपक प्रज्वलित करते से सभी तरह के बंधन, भय और दरिद्रता से मुक्ति मिल जाती है।

इस प्रकार त्रयोदशी पर 13, चतुर्दशी पर 14 और अमावस्या पर 15 दीपक जलाने की परंपरा है।

फिर रोली, खीर, गुड़, धूप, अबीर, गुलाल, फूल आदि से पूजा करे। शाम को पहले कारखाने की गद्दी की पूजा करे. फिर घर में इसी भांति पूजा करे । पहले पुरुष फिर घर की स्त्रियाँ पूजन करे। पूजन के पश्चात सब दीपकों को घर में अलग अलग प्रत्येक स्थान पर रख दे, गणेश लक्ष्मी के आगे चौक पूर कर धूप दीप कर दे ।

5. नरक चतुर्दशी पर काली माता जी की पूजा-Narak Chaturdashi Hanuman Ji Ki Puja

बंगाल में कार्तिक मास की चतुर्दशी के दिन काली जयंती मनाई जाती है. यही कारण है कि इस दिन जहां पूरे देश में यम की विशेष पूजा की जाती है और उन्ही के नाम का दीप दान किया जाता है तो वहीं बंगाल में काली की खासतौर से पूजा की जाती है. कहते हैं इस विशेष दिन काली की पूजा करने से ना केवल उनका आशीर्वाद मिलता है बल्कि उनकी कृपा से शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है

ज्योतिष की मान्यता के अनुसार राहु को जिंदगी के दुष्ट क्षेत्रों का कारक माना जाता है। माँ काली की पूजा को नकारात्मकता का प्रभाव दूर करने वाला माना जाता है, जो कि राहु के दूषित प्रभाव का परिणाम होती है। जो लोग राहु के दुष्प्रभावों का सामना कर रहे हो, उन्हें इस दिन विशेष रूप से देवी को खुश करने के लिए इनकी विधिवत पूजा करना चाहिए।

6. हनुमान जयंती : नरक चतुर्दशी पर हनुमान जी की पूजा-Narak Chaturdashi Hanuman Ji Ki Puja

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन राम भक्त हनुमान जी की पूजा भी की जाती है।काली जयंती ही नहीं बल्कि इस दिन हनुमान जयंती भी है. वाल्मीकि रामायण के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन हनुमान जी का जन्म माता अंजनी के गर्भ से हुआ था।यही कारण है कि इस दिन हनुमान जी की भी विशेष पूजा की जाती है।

नरक चतुर्दशी के लाभकारी प्रयोग- Beneficial practices on Narak Chaturdashi

  1. नरक चतुर्दशी के दिन लाल चंदन, गुलाब के फूल व रोली के पैकेट की पूजा करें बाद में उन्हें एक लाल कपड़ें में बांधकर तिजोरी में रख दे। इस उपाय को करने से धन की प्राप्ति होती है और धन घर में रुकता भी है।
  2. इस दिन स्नान से पहले तिल के तेल से मालिश करें। कार्तिक के महीने में जो लोग तेल का इस्तेमाल नहीं करते है वह भी इस दिन तेल लगा सकते हैं। ऐसी मान्यता है की इस दिन तेल में लक्ष्मी जी का और जल में गंगा जी का वास होता हैं।
  3. नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान के बाद यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करना चाहिए।
  4. नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने के पश्चात पति-पत्नी दोनों को विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में दर्शन करने चाहिए। इससे व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते है और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
  5. सनत कुमार संहिता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित दीप दान करने से पितरों को भी स्वर्ग का मार्ग दीखता है और उनको नरक से मुक्ति मिलती है।
  6. नरक चतुर्दशी के दिन भगवान वामन ओर राजा बलि का स्मरण करना चाहिए ऐसा करने से लक्ष्मी जी स्थायी रूप से आपके घर में निवास करती हैं।
  7. वामन पुराण की कथा के अनुसार जब राजा बलि के यज्ञ को भंग करके वामन भगवान ने तीन पग में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नाप लिया था तब राजा बली के द्वारा मांगे वर के अनुसार जो मनुष्य इस पर्व पर दीप दान करेगा उसके यहाँ स्थिर लक्ष्मी का वास होगा।
  8. वहीं दक्षिणी भारत में इस दिन लोग जल्दी उठकर पवित्र स्नान करने के बाद कुमकुम और तेल का लेप बनाकर उसे अपने माथे पर लगाते हैं. जबकि तमिलनाडु राज्य के कुछ समुदाय के लोग इस दिन लक्ष्मी मां की पूजा भी करते हैं. वहीं पश्चिम बंगाल के लोगों इस दिन स्नान करने के बाद मां काली की आराधना करते हैं.
  9. इस दिन कड़वा फल तोड़ने का भी रिवाज होता है और कहा जाता है कि इस फल को तोड़ना नरकासुर की हार का प्रतीक होता है.

नरक चतुर्दशी के दिन न करें ये काम– Things to avoid on Narak Chaturdashi

  1. नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी किसी जीव को न मारें। इस दिन यमराज की पूजा करने के परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज क्रोधित हो जाते हैं।
  2. नरक चतुर्दशी के दिन दक्षिण दिशा को गंदा नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर नाराज होते हैं।
  3. नरक चतुर्दशी के दिन तिल के तेल का दान नहीं करना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
  4. नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन झाड़ू को भूलकर भी पैर नहीं मारना चाहिए और न ही इसे सीधा खड़ा करना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर में वास नहीं होता है।

नरक चतुर्दशी प्रश्नोत्तरी- Narak Chaturdashi FAQs

Q. नरक चतुर्दशी और दिवाली एक ही हैं क्या-Is Narak Chaturdashi same as Diwali?/Is Choti Diwali and Diwali on same day?

A. नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) दिवाली के एक दिन पहले मनाई जाती है और इसमें भी दिए जलाये जाते हैं और इसे छोटी दिवाली कहते हैं लेकिन नरक चतुर्दशी और दिवाली अलग-अलग त्यौहार हैं।

Q. नरक चतुर्दशी के दिन 14 दीपक ही क्यों जलाते हैं ?

A.शास्त्रों में चतुर्दश (१४) यम का उल्लेख किया गया है। यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, काल, सर्वभूतक्षय, औदुभ्बर, दघ्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त – इन चौदह नामों से यमराज की आराधना होती है। इन्हीं नामों से इनका तर्पण किया जाता है। इसीलिए नरक चतुर्दशी पर १४ दिए जलाने का विशेष विधान हैं।

Q.नरक चतुर्दशी क्या है ?

A. नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) मुख्यतः नरक की यातना से अपने और अपने पूर्वजों को बचाने के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है। दैत्य नरकासुर का वध भी इस दिन हुआ था। इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं।

Q. नरक चतुर्दशी कब मनाई जाती है ?

A. नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।

Diwali 2022 Calendar

According to Thakur Prasad Panchang,Varanasi

5 Day FestivalDate
Dhanteras (Dhan Trayodashi)22 October 2022, Saturday
Roop-Narak Chaturdashi (Chhoti Diwali)23 October 2022, Sunday
Diwali-Deepavali24 October 2022, Monday
Annkoot-Govardhan Pooja26 October 2022, Wednesday
Bhai Dooj-Yam Dwitiya27 October 2022, Thursday

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  5. नरक चतुर्दशी की ७ पौराणिक कथाएं
  6. भाईदूज-यम द्वितीया की कथा
  7. First day of Diwali : Dhanteras
  8. The Second Day Of Diwali-Narak Chaturdashi

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